बारिशों में भीगना..
दिन की तपन,छिला हुआ सा मन,
खरोचों को बूंदों में सेंकना
बारिशों में घूमना
भागते ख्याल,विचारों का जाल
थके क़दमों से पता जैसे पूछना..
बारिशों में जागना
बीते दिन की पुकार,आती ज्यों मीलों पार
अंधियारी रातों में कानों से टटोलना..
बारिशों में रोना
ग़म को यूँ सहना,पीड़ में बहना
बूंदों में आंसुओं को छुपाना..
बारिशों में भीगना..
ReplyDeleteदिन की तपन,छिला हुआ सा मन,
खरोचों को बूंदों में सेंकना
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया........ बहुत सुंदर ....रचना....
shukriya sanjay
ReplyDeleteधुल जाते हैं दर्द पुराने
ReplyDeleteजब बादल घिर आते हैं
टूट टूट दिल रह जाते हैं
जब बदल घिर आते हैं
बूँद बूँद बहता है दरिया
सागर हिल हिल जाते हैं
घने जंगलों में को धमकाते
जब बादल घिर आते हैं
खूबसूरत ... और कुछ भी नहीं ...