Thursday, 2 April 2009

दिनचर्या

लो दिन बीता,लो रात गई...

सूरज ढलकर पच्छिम पंहुचा ,
डूबा,संध्या आई-छाई
सौ संध्या सी वह संध्या थी...
क्यों उठते उठते सोचा था...
दिन में होगी कुछ बात नई...
लो दिन बीता,लो रात गई...

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