आपकी याद आती रही रात भर
रात भर चश्मे-नम मुस्कुराती रही
रात भर दर्द की शम्मां जलती रही
ग़म की लौ थरथराती रही रात भर
बांसुरी की सुरीली सुहानी सदा
याद बन बनके आती रही रात भर
याद के चांद दिल में उतरते रहे
चांदनी जगमगाती रही रात भर
कोई दीवाना गलियों में फिरता रहा
कोई आवाज़ आती रही रात भर ।।
आपकी याद आती रही रात भर
ReplyDeleteरात भर चश्मे-नम मुस्कुराती रही
रात भर दर्द की शम्मां जलती रही
ग़म की लौ थरथराती रही रात भर
याद के चांद दिल में उतरते रहे
चांदनी जगमगाती रही रात भर .. वाह .. वाह ..,बहुत खूब .. ,
बहुत तड़पन है आपके इन लब्जों में ..
दाग साहब कभी कहिं अर्ज किया था ..
नसीबों से मिलता है दर्दे -मोहब्बत
यहाँ तड़प ने वाले भी अच्छे रहे हैं .
मेरी शुभकामनाए आपके साथ है खूब लिखें और अच्छा लिखे .. मक्