दिन गुज़र गया,ऐतबार में...
रात कट गई..इंतज़ार में.
वो मज़ा कहाँ,वसले-यार में...
लुत्फ़ जो मिला..इंतंजार में.
उससे क्या कहें,कितने ग़म सहे...
हमने बेवफा..तेरे प्यार में.
फिकरे आशियाँ,हर खिज़ां में की...
आशियाँ जला..इस बहार में.
किस तरह ये ग़म,भूल जाएँ हम...
वो जुदा हुआ..इस कगार में.
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