मैंने आज गुनगुनाया ..
Tuesday, 30 November 2010
कोई गिला नहीं...
वक़्त-ए-आखिर उम्रभर के सब फ़साने कह गई...
वो पशेमानी तेरी और उसपे हैरानी मेरी...
अपनी अपनी मंजिल-ए-मक़सूद पे ले जाएगी॥
दोस्तों को उनकी अक्ल और मुझको नादानी मेरी...
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