Friday, 30 October 2009

Gone with the wind..

The days and the ignorant you is still the same..
for not there;s any i cud blame..
loving you so weird that all i cud recall..
weeping so lonely as the night falls..
but ah! my test not complete yet..
me a scarlett and you butler rhett!!

Thursday, 27 August 2009

अनुपमा

कपोत-कंठी तू ललाम वामा

अभिसारिका, अनुपमा, मादक, कामा

हृदय बिंधे तेरे सम्मोहक बाण

वशीकरण बंधे थे मेरे प्राण

उस दिवस ही कवि बना मैं, उस दिवस ही पगलाया

Monday, 27 July 2009

invisible tears

You see the pain that lies in her eyes,
But, alas, her eyes are dry,
She won't cry.
No, she won't cry.

You see the anger that burns from her gaze,
The madness that sets her eyes ablaze,
heart is teary but eyes are dry,
She won't cry.
No, she won't cry.

You see the fear that closes her eyes,
The smile she wears is but a disguise,
her soul is sunk but eyes are dry,
She won't cry.
No, she won't cry.

You see the hope that is finally dead,
She cannot trust for her heart has been bled,
sky is raining but her eyes are dry,
She won't cry.
No, she won't cry.

You see the love that lies within,
But she shall never love again,
she will try and try to keep eyes dry,
She won't cry.
No, she won't cry.

Monday, 20 July 2009

बरसात

बंद शीशों के परे देख,दरीचों के उधर,
सब्ज़ पेड़ों पे,घनी शाखों पे,फूलों पे वहां,
कैसे चुपचाप बरसता है मुसलसल पानी॥
कितनी आवाजें हैं,ये लोग हैं,बातें हैं मगर,
ज़हन के पीछे किसी और ही सतह पे कहीं,
जैसे चुपचाप बरसता है तसव्वुर तेरा....

Sunday, 12 July 2009

एकाकी दोनों

न जाने कब से मैं

एक कविता-पंक्ति ले

यहाँ-वहाँ भटकी हूँ।


कल गर्मी थी :

धूप थी,तपन थी।

आज बरसात है :

ऊपर घिराव और नीचे गिजगिजाहट है।

कल ठण्ड हो जायेगी :

भाव,छन्द सब जमेंगे।


आह ! यह मेरी भटकती पंक्ति कविता की अकेली,

टूटी कड़ी-सी

अब किसी से न जुड़ पाएगी।

The day is cold, and dark, and dreary
It rains, and the wind is never weary;
The vine still clings to the mouldering wall,
But at every gust the dead leaves fall,
And the day is dark and dreary.

My life is cold, and dark, and dreary;
It rains, and the wind is never weary;
My thoughts still cling to the mouldering Past,
But the hopes of youth fall thick in the blast,
And the days are dark and dreary.

Be still, sad heart! and cease repining;
Behind the clouds is the sun still shining;
Thy fate is the common fate of all,
Into each life some rain must fall,
Some days must be dark and dreary.

Sunday, 21 June 2009

तेरे मन्दिर का हूँ दीपक..

तेर मन्दिर का हूँ दीपक,जल रहा...
आग जीवन में मैं भरकर चल रहा॥

क्या तू मेरे दर्द से अनजान है,
तेरी मेरी क्या नई पहचान है,
जो बिना पानी बताशा गल रहा...
आग जीवन में मैं भरकर चल रहा॥

मैं पथिक मधु-बांसुरी की बाट का,
एक धुन पे सौ तरह से नाचता,
आँख से जमुना का पानी ढल रहा...
आग जीवन में मैं भरकर चल रहा॥

एक झलक मुझको दिखा दे सांवरे,
तू मुझे ले चल कदम्ब की छांव रे,
ओ रे छलिया,क्यों मुझे तू छल रहा...
आग जीवन में मैं भरकर छल रहा॥

Monday, 20 April 2009

इंतज़ार

इंतज़ार...कोई इन्तेहा नही इसकी...
पल भर का हो..या हो उम्र भर का...

हम भूल गए

हम भूल गए रे हर बात,मगर तेरा प्यार नहीं भूले
क्या क्या हुआ दिल के साथ,मगर तेरा प्यार नही भूले...

Friday, 17 April 2009

अशोक वाजपई

तुम चले जाओगे

पर थोड़ा-सा यहाँ भी रह जाओगे

जैसे रह जाती है

पहली बारिश के बाद

हवा में धरती की सोंधी-सी गंध

भोर के उजास में

तुम चले जाओगे

पर मेरे पास

रह जाएगी

प्रार्थना की तरह पवित्र

और अदम्य

तुम्हारी उपस्थिति,

छंद की तरह गूँजता

तुम्हारे पास होने का अहसास|॥

तुम चले जाओगे

और थोड़ा-सा यहीं रह जाओगे|



विदा

यह विदा का नाम ही होता बुरा है...
डूबने लगती तबियत...

Thursday, 9 April 2009

ज़िन्दगी..

ज़िन्दगी क्या है इस एक याद के सिवा...
सोच लें और उदास हो जायें.

Wednesday, 8 April 2009

in April..


In April, in April,
My one love came along,
And I ran the slope of my high hill
To follow a thread of song.

His eyes were hard as porphyry
With looking on cruel lands;
His voice went slipping over me
Like terrible silver hands.

Together we trod the secret lane
And walked the muttering town.
I wore my heart like a wet, red stain
On the breast of a velvet gown.

Saturday, 4 April 2009

आपकी याद आती रही रात भर

आपकी याद आती रही रात भर
रात भर चश्‍मे-नम मुस्‍कुराती रही
रात भर दर्द की शम्‍मां जलती रही
ग़म की लौ थरथराती रही रात भर
बांसुरी की सुरीली सुहानी सदा
याद बन बनके आती रही रात भर
याद के चांद दिल में उतरते रहे
चांदनी जगमगाती रही रात भर
कोई दीवाना गलियों में फिरता रहा
कोई आवाज़ आती रही रात भर ।।

मख़दूम

रात भर दीदा-ए-नमनाक* में लहराते रहे । ( भीगी आंखों )

सांस की तरह से आप आते रहे, जाते रहे

ख़ुश थे हम अपनी तमन्‍नाओं का ख्‍़वाब आयेगा

अपना अरमान बर-अफ़गंदा-नक़ाब* आयेगा । *बिना परदा किये ।

(नज़रें नीची किये शरमाए हुए आएगा

काकुलें* चेहरे पे बिखराए हुए आएगा ) *जुल्‍फ़

आ गयी थी दिल-ए-मुज़्तर में शिकेबाई-सी* । *बेचैन दिल को चैन

बज रही थी मेरे ग़मख़ाने में शहनाई-सी

शब के जागे हुए तारों को भी नींद आने लगी

आपके आने की इक आस थी, अब जाने लगी

सुबह ने सेज से उठते हुए ली अंगड़ाई

ओ सबा तू भी जो आई तो अकेली आई

ओ सबा तू भी जो आई तो अकेली आई ।।

Thursday, 2 April 2009

दिनचर्या

लो दिन बीता,लो रात गई...

सूरज ढलकर पच्छिम पंहुचा ,
डूबा,संध्या आई-छाई
सौ संध्या सी वह संध्या थी...
क्यों उठते उठते सोचा था...
दिन में होगी कुछ बात नई...
लो दिन बीता,लो रात गई...

Wednesday, 1 April 2009

....

किसी के इतने पास न जा
के दूर जाना खौफ़ बन जाये
एक कदम पीछे देखने पर
सीधा रास्ता भी खाई नज़र आये

किसी को इतना प्यार न कर
के बैठे बैठे आन्ख नम हो जाये
उसे गर मिले एक दर्द
इधर जिन्दगी के दो पल कम हो जाये

किसी को इतना याद न कर
कि जहा देखो वोही नज़र आये
राह देख देख कर कही ऐसा न हो
जिन्दगी पीछे छूट जाये

Sunday, 29 March 2009

२९-०३-२००९

कतरा-कतरा बीत रही है,इसको यूँ ही चलने दो..
सुलग रही है मद्धम महम,इसको यूँ ही जलने दो..
एक ज़िन्दगी ढलने लगी है,आहिस्ता सी टुकडों में,
रात का क्या है,छोटी सी है,इसको यूँ ही ढलने दो....

THE LAST TIME EVER by Gerald England

1 am: peering through blackness
2 am :i feel your heart pounding
3 am our fingers running up my spine
4 am my beard between your breasts
5 am sun rising over the pyramid
6 am ordering coffee and toast
7 am showering together
8 am locking both suitcases
9 am spreading marmalade on bacon
10 am clouds gather over the street
11 am the sound of steamboats on the river
noon black smoke from belching buses
1 pm gunshot heard in the desert
2 pm you tell me not to cry
3 pm at the Art Gallery not looking at portraits
4 pm eating ice-cream in the park
5 pm the drive to the airport
6 pm holding on to your passport
7 pm watching the DC10 climbing
8 pm falling asleep in the departure lounge
9 pm a taxi back to the city
10 pm the silence in the room
11 pm closing the curtain
midnight will last for ever.

Saturday, 28 March 2009

आज की रात....
नीली सी है,कुछ सीली सी है॥
आखों में छाई पनीली सी है
उसके सिरहाने खड़ी हो के सोचा
उसकी भी आँख गीली सी है॥

देखना जज़्बे-मुहब्बत का असर आज की रात

मेरे शाने पै1 है उस शोख़ का सर आज की रात


और क्या चाहिए अब ऐ दिले-मजरुह!2 तुझे

उसने देखा तो ब-अन्दाज़े दिगर आज की रात


नूर3-ही-नूर है जिस सिम्त4 उठाऊँ आँख

हुस्न-ही-हुस्न है, ताहद्दे-नज़र5 आज की रात


अल्लाह-अल्लाह वह पेशानिए-सीमीं का जमाल6

रह गई जम के सितारों की नज़र आज की रात


नग़्मा-ओ-मै का7 यह तूफ़ाने-तरब8 क्या कहिए!

घर मेरा बन गया ख़ैय्याम का घर आज की रात


अपनी रफ़अ़त पै जो नाज़ाँ9 हैं तो नाज़ाँ ही रहें

कह दो अंजुम से10 कि देखें न इधर आज की रात


उनके अल्ताफ़ का11 इतना ही फ़सूँ12 काफ़ी है

कम है पहले से बहुत दर्दे-जिगर आज की रात



1कन्धे पर; 2घायल हृदय; 3प्रकाश; 4तरफ़; 5 जहाँ तक नज़र जाती है; 6धवल मस्तक का निखार; 7संगीत और सुरा का; 8आनन्दमयी समाँ; 9ऊँचाई पर गर्वित; 10नक्षत्रों से; 11कृपाओं का; 12जादू

Wednesday, 25 March 2009

आह! ये बारानी रात,
मेंह,तूफ़ान,रक्से-साय्क़ात,
तूफानों के इस शोर में जाने...
कितनी दूर से सुन रहा हूँ तेरी बात...

Sunday, 22 March 2009

माय मोस्ट फेवरेट ग़ज़ल

झूटी सच्ची आस पे जीना, कब तक आखिर,आखिर कब तक.
मय की तरह खूनेदिल पीना ,कब तक आखिर,आखिर कब तक..

सोचा है अब पार उतेरेंगे,या टकराकर डूब मरेंगे,
तूफानों की ज़द में सफीना,कब तक आखिर,आखिर कब तक..

एक महीने के वादे पे साल गुज़ारा फिर भी न आये,
वादे का ये एक महिना,कब तक आखिर,आखिर कब तक..

सामने दुनिया भर के ग़म हैं,और इधर इक तनहा हम हैं,
सैकडों पत्थर इक आइना,कब तक आखिर,आखिर कब तक..

Thursday, 19 March 2009

क़तील शिफाई

प्यास वो दिल की बुझाने कभी आया भी नहीं
कैसा बादल है जिसका कोई साया भी नहीं

बेस्र्ख़ी इस से बड़ी और भला क्या होगी
एक मु त से हमें उस ने सताया भी नहीं

रोज़ आता है दर-ए-दिल पे वो दस्तक देने
आज तक हमने जिसे पास बुलाया भी नहीं

सुन लिया कैसे ख़ुदा जाने ज़माने भर ने
वो फ़साना जो कभी हमने सुनाया भी नहीं

तुम तो शायर हो ‘क़तील’ और वो इक आम सा शख्स़
उस ने चाहा भी तुझे और जताया भी नहीं

Monday, 16 March 2009

करोगे याद तो...

करोगे याद तो,हर बात याद आएगी..
गुज़रते वक्त की हर मौज ठहर जायेगी..

बरसता भीगता मौसम धुआं-धुआं होगा,
भटकते अब्र में चेहरा कोई बना होगा,
उदास राह कोई दास्तान सुनाएगी ..

Saturday, 14 March 2009

इंतज़ार

मैंने पूछा था एक सितारे से,इन्तहा भी इंतज़ार की है कोई ,
सुनके मेरे सवाल को शबनम,रात भर फूटफूट के रोई...

Thursday, 12 March 2009

इक सबब मरने का,इक तलब जीने की
चाँद पुखराज का,रात पश्मीने की

गुलज़ार साहब

Monday, 9 March 2009

चाँदनी रात में,एक बार तुम्हें देखा है,
फूल बरसाते हुए,प्यार छलकाते हुए, चाँदनी रात में ...

जागती थी जैसे साहिल पे कहीं,
लेके हाथों में कोई साजे-हसीं
एक रंगीन ग़ज़ल गाते हुए,फूल बरसाते हुए
प्यार छलकाते हुए ,चाँदनी रात में...

तूने चेहरे पे झुकाया चेहरा ,
मैंने हाथों से छुपाया चेहरा,
लाज से शर्म से घबराते हुए ,फूल बरसाते हुए,
प्यार छलकाते हुए,चाँदनी रात में...
एक बार तुम्हें देखा है....

Saturday, 7 March 2009

दुःख और सुख थे दोनों एक से
अधरों को कटु मधु समान था
तम प्रकाश थे एक एक से
स्वप्न जागरण भी समान था
सहसा एक सितारा बोला
यह न रहेगा बहुत दिनों तक
आप से गिला आपकी कसम
सोचते रहे ,कर सके न हम

उसकी क्या खता लादवां हैं ग़म
क्यों गिला करें चारागर से हम

ये नवाजिशें,और ये करम
ज़ब्ते-शौक से मर न जायें हम

खींचते रहे उम्रभर मुझे
इक तरफ़ खुदा इक तरफ़ सनम

ये अगर नहीं,यार की गली
चलते-चलते क्यों रुक गए कदम

Friday, 6 March 2009

आज बिछडे हैं कल का डर भी नहीं,
ज़िन्दगी इतनी मुख्तसर भी नहीं


ज़ख्म दीखते नहीं अभी लेकिन ,ठंडे होंगे तो दर्द निकलेगा
तैश उतरेगा वक्त का जब भी, चेहरा अन्दर से ज़र्द निकलेगा
आज बिछडे हैं ...

कहने वालों का कुछ नहीं जाता,सहने वाले कमल करते हैं,
कौन ढूंढें जवाब दर्दों के,लोग तो बस सवाल करते हैं
आज बिछडे हैं...

मैंने आज गुनगुनाया

क्या खोया, क्या पाया जग में
मिलते और बिछुड़ते मग में
मुझे किसी से नहीं शिकायत
यद्यपि छला गया पग-पग में
एक दृष्टि बीती पर डालें, यादों की पोटली टटोलें!